Sunday, August 20, 2017

जिन्दगी गमों का पुलिंदा   यहाँ खुशियाँ आजकल चुनिन्दा है
 कुछ करने की सोचें तो मिलती यहाँ सिर्फ निंदा है
ऊँगली पकड़ कर थामने बालों को तो भूल ही जाइए
यहाँ साथ चलते चलते ही गिराने वाले ही जिन्दा हैं  

Sunday, March 31, 2013


AAJ MAN HAIRAN HAIN

aaj man hairan hai ,jindgi se anjaan hain
dhundta na jaane kise ,nighaahen bhi anjaan hain
khushiyon ko dhundti raahen najar aati hain
par un raahon ko jodti manjil se anjaan hain
aaj man hairaan hain ,jindgi se anjaan hain
ek paheli hain jindgi kahin humsaya kahin akeli hain jindgi
kuch chupti kuch chupati kuch dikhti kuch dikhati
har pal kuch ankahi uljhano ko suljhati
na jaane kis hakikat se anjaan hain
aaji man hairaan hain ,jindgi se anjaan hain
in anjaan lehron pe saahil ko dhundti
har pal na jaane kyu khud ko hi talashti
main hu ya nahi in uljhanon ko suljhati
apni hi parchaiyon ko dhundta nadaan hain
aaj man hairan hain jindgi se anjaan hain
                    

Saturday, July 31, 2010

Saturday, June 5, 2010

मैं स्वर्गवासी हूँ...............

स्वर्ग एक ऐसा नाम जिसके बारे मैं जानने की, जिसमें मैं जाने की की इच्छा की कैसा हैं स्वर्ग की क्या मरने के बाद हम नरक मैं जायेंगे या स्वर्ग मैं हर कोई जानना चाहता है हर किसी की इच्छा होती है भगवान् मरने के बाद स्वर्ग ही जाये और एक बात और देखिये क्या आपने किसी मरे हुए व्यक्ति के आगे नरकवासी लिखा देखा है नहीं ना हो भी नहीं सकता हर कोई बोलेगा जी स्वर्गवासी हो गए अरे यार नरकवासी भी तो सकते हैं या पहले से पता करके बैठे थे की स्वर्ग ही जायेंगे खैर जो भी मुझे क्या .......मैं तो ये कहना चाह रही हु की मैं तो जीवित होते हुए भी स्वर्गवासी हूँ और उम्मीद और दुआ करुगी आप सब भी मेरी तरह स्वर्ग वासी हो क्युकी मेरे मुताबिक तो स्वर्ग इसी धरती पे है और बहार स्वर्ग या नरक जैसा कुछ नहीं है जो भी है सब इसी धरती पे है अब चाहे वो किसी के लिए स्वर्ग और किसी के लिए नरक ये जरुर आपपे निर्भर करता है ............हर किसी के जाने की इच्छा होती है क्या हैं स्वर्ग तो पढिये शायद मुझे तो लगता है की ऐसा ही होता है स्वर्ग अब ये आपको बताना की मैं कितनी सही हूँ.........स्वर्ग वो है जब एक माँ अपने बच्चे को गोद मैं भरकर प्यार से गले लगाकर माथा चूमती हैं स्वर्ग ये है,  स्वर्ग ये हैं जब पापा हमारे सपनों के लिए रात दिन मेहनत करके हमरे सपनो और हमारी खावैयोंशो को पूरा करते है स्वर्ग वो हैं जब हम घर देर से पहुँचते है घर पर हमारे मम्मी पापा हमारी चिंता करके दरबाजे पे हमारा इन्तजार कर रहे होते है, स्वर्ग ये है जब बड़ी बहन हमारा काम रह जाने हमारे  रोने से पहले हमारा काम कर देती है और कहती है  "जब  मैं चली जाउंगी तब देखूंगी कौन करेगा तुम्हरा काम" स्वर्ग वो है जब बड़े  भाई हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा खड़े होते है और अपने लिए कुछ लाये और" हमे पसंद आ जाये तो कहे चल तुझे पसंद है तू रख ले मैं अपने लिए और ले आऊंगा" स्वर्ग वो है जब हमारा सच्चा दोस्त हम परेशानी मैं हो तो बोले अरे यार चिंता मत कर कुछ नहीं होगा यार "मैं हूँ ना" स्वर्ग वो हैं जब हमारे हर कदम मैं हमारा परिवार हमारे साथ खड़ा हो वो हमे अमीरी या गरीवी से ना तोलकर अपने और हमारे प्यार से हमे सीचें स्वर्ग वो जब हमारे अपने हमें आखें नम और हमारे मागने से पहले हमें देने की कोशिश करें स्वर्ग वो हैं जब हम अपने बड़ों के सपनों को पूरा करें और उनकी आखो के वो ख़ुशी के आंसू उससे बड़ा स्वर्ग शायद कुछ नहीं है इस दुनिया स्वर्ग वो हैं जब हम किसी गरीब किसी भूखे को भोजन कराये किसी प्यासे को पानी पिलाये तो वो जो दुआ देता उस दुआ से बड़ा स्वर्ग कुछ नहीं किसी रोते को हसाना बड़ों को उनका सम्मान देना  छोटों को उनका प्यार देना किसी के सपने को पूरा करना अपने लिए तो सब जीते है किसी और की खुशियों के लिए जीनाये है स्वर्ग स्वर्ग वो है जब बच्चे माता-पिता के सपने के लिए जिए माता-पिता तो जीते हैं पर अगर बच्चे जिए तो वो हैं स्वर्ग, स्वर्ग वो है  जब एक सैनिक अपने देश के लिए लड़ता हुआ शहीद  हो जाता है  वो है सही मायने मैं स्वर्गवासी...................ये हैं मेरी नजरों का स्वर्ग मैं इस स्वर्ग की स्वर्गवासी हूँ क्या आप भी है इस स्वर्ग के स्वर्गवासी और क्या मैं सही हूँ क्या यही है सही मन्ये मैं स्वर्ग या कुछ और ...................ये आप बतायेगे की कैसा है आपकी नजरों का स्वर्ग मैं तो गर्व से कहती हूँ ये है मेरा स्वर्ग मैं जीवित रहते हुए भी मैं स्वर्गवासी हूँ...........................................

Saturday, May 29, 2010

कैसे कहू मैं हिरदय बेदना
कौन सुनेगा बात यहाँ
बिंधा हुआ है तन तीरों से
कदम कदम पे घात यहाँ
जैसा की आप इन पंक्तियों से ही समझ गए होंगे यहाँ मैं अपनी मात्रभूमि धरती माँ की बात कर रही हु जिसको उसकी संतानों ने ही छलनी कर रखा है कौन हैं इसका जिम्मेदार हम आप या कोई और,आप सोच रहे होंगे की मैंने अपने ब्लॉग का शिर्सक देशी आतंकबाड़ी क्यों रखा क्यूंकि हमारे देश मैं आताक्बादी बिदेशी न होकर अपने देश के ही है वो कौन है ,कौन
जिम्मेदार है हम,हमारे नेता,धर्म और हमारी व्यवस्था ये सभी किसी न किसी रूप मैं जिम्मेदार है हम आज चन्द रुपयों के लिए हम अपना ईमान,अपनी मात्रभूमि तक को बेचने के लिए तैयार हो जाते है इसका जिम्मेदार कौन है हमारी अज्ञानता, निरक्षरता,  नेता वोट बैंक की राजनीती कर हम्रारे देश को जांति और सम्प्रदाय के भाग मैं वांट रहे है क्या फर्क है उन अंग्रेजो जिन्होंने अब तक हम पर साशन किया'' फूट डालो शाशन करो'' की निति अपनाई थी वो ही तो आज ये नेता कर रहे है अंतर है मात्र गुलाम और आजाद देश का पर आज  आजाद होकर भी हम इनके गुलाम है क्यों हो रहे है रोज रोज ये आतंकबाद के घिन्नोने कारनामे जिन्हें देखकर हमारी आँखे नम हो जाती है और हो भी क्यों ना क्युकी शिकार तो हम ही होते है हमला संसद पर होता है पर मरता कौन है जनता चाहे बाबरी कांड हो या घोधरा या फिर मुंबई सीरियल ब्लास्ट हो या ताज पे हुआ धमाका मरती सिर्फ जनता है क्या कोई नेता इन धमाकों  मैं शहीद  हुआ है कभी नहीं पर इसके जिम्मेदार भी हम है क्योकि ऐसे नेताओ को चुनकर भी तो हम लाये है जो सिर्फ हिन्दू मुस्लिम वोट बैंक की राजनीती करना जानते है आज का युवा क्यों पोलिटिक्स से बचता है कारण राजनीति का बिगड़ता स्वरूप अगर युवा है भी तो वो जो किसी न किसी रूप मैं वो या उनका परिवार राजनीती से जुड़ा है आम जनता नहीं............ हमारे देश के सबसे बड़े आताक्बादी ये नेता है जिन्होंने  पूरी की पूरी वय्बस्था बिगाड़ रखी है कोई अपने ऊपर करोड़ो रुपयों की माला चदबाता है तो कोई धर्म के नाम पे राजनीति कर रहा है

शर्मनाक लोकतंत्र {भारत की शान मत करो इसका अपमान} ...........

क्या यही है भारत की शान हमारा तिरंगा जो आज हमारे ही देश मैं अपमानित हो रहा है कौन है इसका जिम्मेदार क्या हो रहा है हमारे इस देश मैं हमे शर्म आनी चाहिए कहाँ है हमारी मीडिया नेता और जनता....... अब जब ये लोग हमारे देश के ही एक शहर श्रीनगर मैं हमारे तिरंगे का अपमान कर उसे जला रहे है और हाथ मैं पाकिस्तानी झंडा लहरा रहे है अब कहाँ है हमारी मीडिया ..............हमारा लोकतंत्र ..................नेता और जनता
शर्म आनी चाहिए हमारी भारतीय सरकार और मीडिया को जिसने इसे इतने बड़े अपमान को कश्मीर मैं जलाये जाने पर कोई कदम तक नहीं उठाया, इस जलते हुए तिरंगे को प्रसारित तक नहीं किया
भारत ही ऐसा देश हो सकता जहाँ ये सब भी सहा जा सकता है जहाँ छोटी छोटी बातों को तो मसाला बना कर खूब दिखया जाता है पर इतनी बड़े अपमान का नाम तक नहीं क्या हम इसी सपनो के भारत के नागरिक है???????? जहाँ हरे राष्ट्र ध्बज का भी सम्मान नहीं है शर्म आनी चाहिए हमे हमारी सरकार और इस नाकारा मीडिया पर ..........




जब सचिन तेंदुलकर केक तिरंगे के आकर मैं बनाकर काटते है तब बहुत मासला बनाकर ये मीडिया उछालती है या मंदिरा बेदी अगर किसी शो पर हर देश के झंडों की साड़ी पहन ले तो भी ये नाकारा मसाला न्यूज़ चैनल पीछे नहीं हटते मगर इस पर कुछ नहीं .........
जब एक शिपाही के हाथ से अभ्यास के दौरान झंडा छुट जाता है तो उसे उसकी निकाल दिया जाता है पर इसपर कुछ नहीं ..................क्या ये देश है हमारा????
चाहे अमरनाथ संघर्ष को ही ले लीजिये जब जम्मू वाले तिरंगा लेकर भारत माता की जय हो के नारे लगते हुए जाते है तो वहां के पुलिस कमिश्नर [कश्मीर] गोली चलबा देते है कारन शांति भंग हो रही है अब शान्ति भंग नहीं हो रही उनकी जब ये लोग कश्मीर के श्रीनगर जो की भारत का हिस्सा है उसमे पाकिस्तानी झंडा लहरा रहे है और तिरंगा जला रहे है और "हिन्दुस्तान मुर्दाबाद" और "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगा रहे है अब कोई अशांति नहीं फ़ैल रही ................
हर साल पाकिस्तानी स्वतंत्रता दिवस १४ अगस्त को पुरे कश्मीर मैं पाकिस्तानी झंडा फरया जाता है यहाँ तक की हमारे सरकारी दफ्तरों तक मैं भी ........ और १५ अगस्त को हमारे तिरंगे का अपमान उसे जलया जाता है क्या यही है वो सपनो का भारत??????????????? हम आजाद हुए भी है या अब भी गुलाम हैं ?ये सब इसी देश मैं देखने को मिल सकता और कही नहीं क्युकी ये शांति दूतों का देश भारत है.......................................................
इस समय कहाँ गई थी हमारी वो मीडिया जो हर छोटी छोटी बाँतो को तूल देना जानती है मसाला लगाकर ब्रेकिंग न्यूज़ बनाती है जैसे की कुछ झलकियाँ देखिये................

और देखिये ये है मुख्य समाचार हमारे देश के कुछ मुख्या न्यूज़ चेन्नाल्स के जो कहने के नुम्बर १ है शायद .........

शर्म नहीं आती इन्हें ये सब दिखाते हुए....... मीडिया को हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है क्या ऐसा है ये चौथा स्तम्भ तो तो टिक गया ये लोकतंत्र ...............
जय हिन्द जय भारत .

Wednesday, February 17, 2010

save our national animal

जहाँ तक मैं सोचती हूँ   तो शायद  हम सबने विज्ञान मैं जीवन चक्र जरुर पड़ा होगा की प्रत्येक जीव किसी किसी रूप मैं दुसरे जीव पर निर्भर है और एक जीव का जीवन भी अगर पूरी तरह से ख़त्म हो जाये तो शायद  वो दिन दूर नहीं की हम दुसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश करते करते करते  अपनी पृथ्वी  से ही मानव जीवन समाप्त कर दे आज जिस तरह से हमारे देश मैं चीतों की संख्या मैं कमी रही हैं सायद अगले कुछ वर्षों बाद ये प्रजाति विलुप्त हो जाए आज हमारे देश मैं इनकी संख्या  मात्र 1411 के लगभग रह गई है किसी और के लिए न सही कम  से कम हम अपने जीवन के लिए तो एक कदम उठा सकते है कृपया मेरा साथ देकर एक कदम और उठाये हमारे देश मैं विलुप्त होती चीतों की जनजाति को बचाए इससे सायद आप उनका नहीं अपना ही जीवन बचायेंगे अपनी और अपनी इस पृथिवी को बचाइए क्योकि किसी एक की कमी से किसी अन्य की अधिकता  हो सकती है जिससे 2012 होने वाली प्रलय मतलब पृथ्वी का विनाश संभव भी हो सकता हैं तो कृपया मेरे साथ कदम बढ़ाये
 और हमारे राष्ट्रीय  पशु की जान बचाकर  अपनी जान बचाए जागो इंडिया जागो