Wednesday, February 17, 2010

save our national animal

जहाँ तक मैं सोचती हूँ   तो शायद  हम सबने विज्ञान मैं जीवन चक्र जरुर पड़ा होगा की प्रत्येक जीव किसी किसी रूप मैं दुसरे जीव पर निर्भर है और एक जीव का जीवन भी अगर पूरी तरह से ख़त्म हो जाये तो शायद  वो दिन दूर नहीं की हम दुसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश करते करते करते  अपनी पृथ्वी  से ही मानव जीवन समाप्त कर दे आज जिस तरह से हमारे देश मैं चीतों की संख्या मैं कमी रही हैं सायद अगले कुछ वर्षों बाद ये प्रजाति विलुप्त हो जाए आज हमारे देश मैं इनकी संख्या  मात्र 1411 के लगभग रह गई है किसी और के लिए न सही कम  से कम हम अपने जीवन के लिए तो एक कदम उठा सकते है कृपया मेरा साथ देकर एक कदम और उठाये हमारे देश मैं विलुप्त होती चीतों की जनजाति को बचाए इससे सायद आप उनका नहीं अपना ही जीवन बचायेंगे अपनी और अपनी इस पृथिवी को बचाइए क्योकि किसी एक की कमी से किसी अन्य की अधिकता  हो सकती है जिससे 2012 होने वाली प्रलय मतलब पृथ्वी का विनाश संभव भी हो सकता हैं तो कृपया मेरे साथ कदम बढ़ाये
 और हमारे राष्ट्रीय  पशु की जान बचाकर  अपनी जान बचाए जागो इंडिया जागो    

Tuesday, February 2, 2010

नारी

नारी एक ऐसा नाम जिसे सायद किसी अन्य नाम की कोई जरुरत नहीं, कहते है अपने आप मैं संपूर्ण है नारी पर कहाँ तक सच है ये बात क्या नारी को हमारे देश मैं संपूर्ण अधिकार है या समझोता मात्र ! जीवन का आधार कही जाने बाली नारी आज खुद मैं निराधार हैं /हर जगह उसे ही हर परिस्थिति मैं उसे ही क्यों ढलना पड़ता है चाहे फिर वो घर या बहारी दुनिया घर से निकलने पर भी पाबन्दी घर भर निकलना भी धुभर है नारी का, आज हमारे देश ने बहुत साड़ी बुलंदियों को छुआ है जिसमे नारी का असीम योगदान भी रहा है परन्तु, फिर भी नारी का निरादर आज भी हमारे देश मैं जारी है, रोज एक लड़की दहेज़ के लोभियों या बलात्कारियों का या फिर घरेलु हिंसा का शिकार है , हर कोई अपनी अपनी तरहा से नारी का सोसन कर रहा है वैसे तो सायद चाँद पे पहुच गई है नारी पर आज समाज मैं उसे सम्मान होते हुए भी पूर्ण सम्मान नहीं आज भी अगर घर मैं बेटी का जन्मा हो जाए तो दुखी हो जाता है परिबार बस सिर्फ जननी रह गई है नारी, क्यों होता है भेदभाव नारी के साथ क्यों मर रही है लड़कियां सायद इसका उत्तर देने वाला इस देश क्या दुनिया मैं भी कोई नहीं. आज भी नारी मात्र एक जीवन का आधार जीवन देने वाली एक मात्र जननी बनकर रही गई है/ नारी के साथ तो हर युग मैं ऐसा होता आया है फिर चाहे वो सतयुग हो या द्वापरयुग हर युग मैं नारी ने अपमान सहा है और ये तो कलियुग हैं यहाँ और सामान की उम्मीद ............ जहाँ हर बुलंदी को छुआ है नारी ने फिर भी सम्मान को वो अपनों से भी तरस जाती है क्या यही है नारी का जीवन जिसे बही सिर्फा दूसरों की मर्जी से और दुसरो की ख़ुशी के लिए सिर्फ जीवन का आधार बनकर एक जननी बनकर खुश है यही है हमारे देश मैं नारी अगर यही हाल रहा तो फिर कोई सीता ,द्रौपदी बनेगी और कलियुग मैं तो अनगिनत नाम है ऐसे जिनकी गिनती करना भी असंभव सा लगता है क्या नारी को सम्मान से जीने का कोई अधिकार नहीं क्या सिर्फ वो एक माँ जननी एक और जीवन देने बाला आधार बनकर रह जायेगी जिसका अपना कोई अधिकार नहीं क्या येही नारी का जीवन हैं आप भी मेरी साथ एक पहल कीजिये और नारी को सामान दिलाने मैं मेरी मदद करिए नारी इस संसार की जगत जननी है उसे सिर्फ जीवन का आधार मत बनाओ उसे उसके अभिकार दिलाओ अब तो नारी के साथ अत्याचार छोड़ो अब हम एक विकासशील रास्त्र के जनता है नारी जीवन है कृपया उसे उसका जीवन लौटा दो................................................................