Tuesday, February 2, 2010

नारी

नारी एक ऐसा नाम जिसे सायद किसी अन्य नाम की कोई जरुरत नहीं, कहते है अपने आप मैं संपूर्ण है नारी पर कहाँ तक सच है ये बात क्या नारी को हमारे देश मैं संपूर्ण अधिकार है या समझोता मात्र ! जीवन का आधार कही जाने बाली नारी आज खुद मैं निराधार हैं /हर जगह उसे ही हर परिस्थिति मैं उसे ही क्यों ढलना पड़ता है चाहे फिर वो घर या बहारी दुनिया घर से निकलने पर भी पाबन्दी घर भर निकलना भी धुभर है नारी का, आज हमारे देश ने बहुत साड़ी बुलंदियों को छुआ है जिसमे नारी का असीम योगदान भी रहा है परन्तु, फिर भी नारी का निरादर आज भी हमारे देश मैं जारी है, रोज एक लड़की दहेज़ के लोभियों या बलात्कारियों का या फिर घरेलु हिंसा का शिकार है , हर कोई अपनी अपनी तरहा से नारी का सोसन कर रहा है वैसे तो सायद चाँद पे पहुच गई है नारी पर आज समाज मैं उसे सम्मान होते हुए भी पूर्ण सम्मान नहीं आज भी अगर घर मैं बेटी का जन्मा हो जाए तो दुखी हो जाता है परिबार बस सिर्फ जननी रह गई है नारी, क्यों होता है भेदभाव नारी के साथ क्यों मर रही है लड़कियां सायद इसका उत्तर देने वाला इस देश क्या दुनिया मैं भी कोई नहीं. आज भी नारी मात्र एक जीवन का आधार जीवन देने वाली एक मात्र जननी बनकर रही गई है/ नारी के साथ तो हर युग मैं ऐसा होता आया है फिर चाहे वो सतयुग हो या द्वापरयुग हर युग मैं नारी ने अपमान सहा है और ये तो कलियुग हैं यहाँ और सामान की उम्मीद ............ जहाँ हर बुलंदी को छुआ है नारी ने फिर भी सम्मान को वो अपनों से भी तरस जाती है क्या यही है नारी का जीवन जिसे बही सिर्फा दूसरों की मर्जी से और दुसरो की ख़ुशी के लिए सिर्फ जीवन का आधार बनकर एक जननी बनकर खुश है यही है हमारे देश मैं नारी अगर यही हाल रहा तो फिर कोई सीता ,द्रौपदी बनेगी और कलियुग मैं तो अनगिनत नाम है ऐसे जिनकी गिनती करना भी असंभव सा लगता है क्या नारी को सम्मान से जीने का कोई अधिकार नहीं क्या सिर्फ वो एक माँ जननी एक और जीवन देने बाला आधार बनकर रह जायेगी जिसका अपना कोई अधिकार नहीं क्या येही नारी का जीवन हैं आप भी मेरी साथ एक पहल कीजिये और नारी को सामान दिलाने मैं मेरी मदद करिए नारी इस संसार की जगत जननी है उसे सिर्फ जीवन का आधार मत बनाओ उसे उसके अभिकार दिलाओ अब तो नारी के साथ अत्याचार छोड़ो अब हम एक विकासशील रास्त्र के जनता है नारी जीवन है कृपया उसे उसका जीवन लौटा दो................................................................

12 comments:

  1. sach me sahi kaha aapne!kuchh aise hi halaat hai nari ke..

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  2. Naaree na jana kin kin roopon me kabhi sweekari jati hai to kabhi nakari jayi hai..ek vidmbana-si lagti hai..

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  3. Jo log mukjaute odhe naaree ke aadar kee charcha karte hain,wahi sabse adhik niradar karte...hamare samaj ki ye khasiyat hai!

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  4. apmaan ki na socho, only do dont die

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  5. क्या नारी को सम्मान से जीने का कोई अधिकार नहीं ?
    most vital questions

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  6. बहुत सुन्‍दर रचना है ।

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  7. बहुत ही शसक्त और सत्य .तह में जाएँ तो इस अपमानजनक स्थिति के लिए हर तथाकथित ' धर्म ' ही जिम्मेदार रहा है.पहले उसी से और अंधश्रद्धा से लड़ना होगा. लड़ेंगे .

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  8. Swagat hai,
    Kabhi yaha bhi aayen
    http://jabhi.blogspot.com

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  9. HI I SAW A GOOD VISION IN YOUR EYES AND THOUGHTS, KEEP IT UP

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  10. Naari ke liye likhe gaye kelh evam vichar bahut ache lage.

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  11. This comment has been removed by the author.

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